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किसी भी व्यक्ति की कुंडली उसके जीवन में विशेष महत्व रखती है, कुंडली के आधार पर ग्रह-नक्षत्रों की गणना की जाती है, जिससे कुंडली में मौजूद गुण-दोष का पता चलता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई अशुभ ग्रह किसी शुभ ग्रह के साथ युति करता है तो ऐसी स्थिति में कुंडली दोष बनता है। इन दोषों के कारण व्यक्ति के जीवन में कई तरह की घटनाएं घट सकती हैं। आइए जानते हैं कुंडली के 5 सबसे खतरनाक दोष तथा उनके उपायों के बारे में।
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काल सर्प दोष
कुंडली में राहु और केतु के एक साथ आने से काल सर्प दोष होता है। इसके अलावा अगर सातों बड़े ग्रह राहु और केतु की धुरी में हों, तो भी जातक की कुंडली में काल सर्प दोष होता है। इस दोष के कारण जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। बनते-बनते काम बार-बार बिगड़ जाते हैं।
कालसर्प दोष निवारण के लिए ज्योतिषीय उपाय- कालसर्प दोष निवारण पूजा करवाएं।- मां दुर्गा और भगवान गणेश की पूजा करें। – मंगलवार को राहु और केतु के लिए अग्नि अनुष्ठान करें। – हनुमान चालीसा का पाठ करें। – कालसर्प दोष निवारण के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ भी फलदायी होता है।
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मंगल दोष
वैदिक ज्योतिष में मंगल दोष को खतरनाक दोषों में गिना जाता है। यह दोष रिश्तों में तनाव का कारण बनता है। जब कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में होता है, तो मांगलिक दोष होता है। इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है। सफल और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह बहुत जरूरी है कि दोनों जीवनसाथी की कुंडली में मंगल दोष न हो। अगर दोनों में से किसी एक की कुंडली में मंगल दोष है, तो शादी के बाद रिश्ते में प्रतिकूल प्रभाव दिखने लगते हैं।
मंगल दोष निवारण के लिए ज्योतिषीय उपाय- हनुमान चालीसा का पाठ करें।- मंगल ग्रह के लिए हवन करें।- “ॐ भौमाय नमः” का 108 बार जाप करें।- मांगलिक दोष निवारण पूजा विधि-विधान से करवाएं।- मंगलवार को मंदिर में मां दुर्गा की पूजा करें और दीपक जलाएं।
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केन्द्राधिपति दोष
जब भी किसी शुभ ग्रह की राशि केंद्र में होती है, तो वह जातक केन्द्राधिपति दोष से प्रभावित होता है। शुभ ग्रह बृहस्पति, बुध, शुक्र और चंद्रमा हैं। इनमें से बृहस्पति और बुध के कारण होने वाला दोष अधिक गंभीर और प्रभावी माना जाता है। पहला, चौथा, सातवां और दसवां केंद्र भाव हैं। इसके बाद शुक्र और चंद्रमा का दोष आता है। उपरोक्त दोष केवल शुभ ग्रहों यानी बृहस्पति, बुध, चंद्रमा और शुक्र पर ही लागू होता है। यह शनि, मंगल और सूर्य जैसे ग्रहों पर लागू नहीं होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को करियर से जुड़ी समस्याओं जैसे नौकरी छूटना, व्यापार में परेशानी, पढ़ाई से जुड़ी समस्याएं, शिक्षा का नुकसान आदि का सामना करना पड़ सकता है।
केन्द्राधिपति दोष निवारण के लिए ज्योतिषीय उपाय- प्रतिदिन मंदिर में भगवान शिव की पूजा करें।- प्रतिदिन 21 बार ओम नमो नारायण का जाप करें।- प्रतिदिन 11 बार ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
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इस दोष के बारे में सामान्य तह: सभी लोग जानते हैं। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध न करने, श्राद्ध कर्म में सम्मिलित न होने और पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ न करने से हर साल यह दोष हावी हो जाता है तथा व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न होने लगती हैं। इसके अलावा जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की राहु के साथ या सूर्य ग्रह की केतु के साथ युति होती है तो ऐसी स्थिति में भी पितृ दोष बनता है। इस दोष के कारण जीवन में विकास रुक जाता है। ऐसे व्यक्तियों को या तो नौकरी नहीं मिलती या मिलती भी है तो बहुत कम वेतन पर। ऐसे व्यक्तियों को धन की हानि होने लगती है।
पितृ दोष निवारण के ज्योतिषीय उपाय- प्रतिदिन कौओं तथा पक्षियों को दाना खिलाएं।- काशी और गया अवश्य जाएं तथा वहां अपने दिवंगत पूर्वजों का तर्पण करें।- किसी विद्वान ज्योतिषी से पूरे विधि-विधान से पितृ दोष निवारण पूजा करवाएं।- अमावस्या के दिन सुबह सफेद गाय को हरी घास खिलाएं और उसका आशीर्वाद लें। ऐसा करने से आपको पितृ दोष की समस्या का समाधान मिलेगा।
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गुरु चांडाल दोषhttps://jagran.press/