सबसे बड़े नकारात्मक दोषों में से एक है ‘गुरु-चांडाल’ दोष। यह दोष तब बनता है जब कुंडली में राहु और बृहस्पति एक साथ हों। यह दोष कुंडली में जहां भी बनता है, हमेशा नुकसानदायक होता है। अगर यह लग्न, पंचम या नवम भाव में हो तो विशेष रूप से नकारात्मक होता है। अगर समय रहते गुरु-चांडाल दोष का उपाय न किया जाए तो कुंडली के सभी शुभ योग टूट जाते हैं। अक्सर इस दोष के कारण व्यक्ति का चरित्र कमजोर हो जाता है। इस योग के कारण व्यक्ति को पाचन तंत्र, लीवर की समस्या और गंभीर रोग होने की संभावना रहती है। ऐसे लोग फिजूलखर्ची या इधर-उधर पैसा खर्च करते हैं और अपने भविष्य पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं।
गुरु चांडाल दोष निवारण के ज्योतिषीय उपाय- गायत्री मंत्र का जाप करें। – गायत्री मंत्र का जाप रोजाना सुबह और शाम 108 बार करें। – हर गुरुवार को भगवान विष्णु और बृहस्पति ग्रह की पूजा करें। – गुरुवार को गाय और जरूरतमंद लोगों को चने की दाल और गुड़ दान करें। – चांडाल दोष पूजा करें। – ‘ओम गुरुवाय नमः’ मंत्र का रोजाना 108 बार जाप करें। – महादेव पूजा तथा रुद्र अभिषेक से भी गुरु चंडाल दोष शांत होता है